PSTET : टीईटी से हजारों अध्यापकों का भविष्य दांव पर
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टीईटी क्लीयर न करने वाले अध्यापकों पर छंटनी की गाज गिर सकती है
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लंबे समय से सेवाएं दे रहे अध्यापकों के भविष्य पर टीचर एलीजिबिलिटी टेस्ट(टीईटी) की अनिवार्यता की तलवार लटक गई है। पंजाब सरकार ने 2010 के बाद से भर्ती अध्यापकों पर टीईटी (अध्यापक योग्यता परीक्षा) की शर्त लगा दी है, इन्हें 31 मार्च 2015 तक टीईटी क्लीयर करना अनिवार्य कर देने से अध्यापकों में हाहाकार मच गया है। सबसे रोचक पहलू तो यह है कि प्रदेश में टीईटी पास हजारों अध्यापक आज भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन(डीजीएसई) ने 28 जुलाई को पत्र जारी करके 23 अगस्त 2010 के बाद से विभागीय, एसएसए, रमसा एवं अन्य स्कीमों के तहत भर्ती तमाम अध्यापकों के लिए 31 मार्च 2014 तक टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया है। सीमित समय में शर्त के पालन के इन आदेशों से अध्यापकों के हाथ-पांव फूल गए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने विवादों से बचने के लिए इस 'फरमान' के बाद आवेदन की 29 जुलाई की तारीख को बढ़ाकर 4 अगस्त कर दिया लेकिन 3 तारीख के रविवार होने के चलते तमाम औपचारिकताएं पूरा करने को महज तीन दिन मिले, ऐसे में 2 अगस्त तक अधिकांश अध्यापक आवेदन करने से वंचित रह गए।
उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने 2008-09 के बाद लगभग 20 हजार अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन जारी हुए किंतु ठेका प्रणाली के अंतर्गत सात हजार अध्यापकों को नियुक्ति पत्र जारी किए जबकि बकाया 13 हजार अध्यापक आज भी सरकार का मुंह ताक रहे हैं। जुटाए गए विवरण के अनुसार 7654 अध्यापक अप्रैल 2011 में भर्ती हुए जबकि 6 अप्रैल 2014 को तीन साल बाद रेगुलर किया गया। वहीं, एसएसए के अधीन भी हजारों अध्यापक 2010 के बाद भर्ती किए गए किंतु अब अचानक यह फैसला थोप देने से हजारों अध्यापकों का भविष्य पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। पूर्व के टीईटी परिणामों को देखें तो 31 मार्च 2015 तक 10-12 हजार अध्यापकों का टीईटी पास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। नेशनल कौंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की शर्तो के अनुसार टीईटी क्लीयर न करने वाले अध्यापकों पर छंटनी की गाज गिर सकती है।
21175 के विज्ञापन 7400 की भर्ती
- 23 अक्टूबर 2009 को 7654 अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन में से जिन 5200 को नियुक्ति पत्र जारी किए गए जबकि 2400 पद अभी तक नहीं भरे गए।
- 7 मई 2011 को 3442 अध्यापकों के विज्ञापन में से 2200 भर्ती करके बाकी 1242 पद खाली छोड़े गए हैं।
- 9 सितंबर 2012 को 5178 अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ लेकिन अभी तक किसी की भी भर्ती नहीं हुई।
- 22 फरवरी 2014 को 4901 अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया लेकिन इसमें भी कोई भर्ती नहीं की गई।
शर्त हटाने का आग्रह
शिक्षा सुधार कमेटी ने हजारों अध्यापकों की भविष्य की दुहाई देते हुए इस फरमान को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है। प्रदेश प्रधान जसवंत सिंह गिल, प्रांतीय कनवीनर हंसराज व राजकिशोर कालड़ा का कहना है कि पहले से भर्ती अध्यापकों पर टीईटी पास करने की शर्त न लगाई जाए क्योंकि इस शर्त से हजारों अध्यापकों बेरोजगार हो जाएंगे, वहीं स्कूल खाली होने से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होगी
News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Sunday,Aug 03,2014 05:22:46 PM | Updated Date:Sunday,Aug 03,2014 05:22:44 PM)
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टीईटी क्लीयर न करने वाले अध्यापकों पर छंटनी की गाज गिर सकती है
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फिरोजपुर :लंबे समय से सेवाएं दे रहे अध्यापकों के भविष्य पर टीचर एलीजिबिलिटी टेस्ट(टीईटी) की अनिवार्यता की तलवार लटक गई है। पंजाब सरकार ने 2010 के बाद से भर्ती अध्यापकों पर टीईटी (अध्यापक योग्यता परीक्षा) की शर्त लगा दी है, इन्हें 31 मार्च 2015 तक टीईटी क्लीयर करना अनिवार्य कर देने से अध्यापकों में हाहाकार मच गया है। सबसे रोचक पहलू तो यह है कि प्रदेश में टीईटी पास हजारों अध्यापक आज भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन(डीजीएसई) ने 28 जुलाई को पत्र जारी करके 23 अगस्त 2010 के बाद से विभागीय, एसएसए, रमसा एवं अन्य स्कीमों के तहत भर्ती तमाम अध्यापकों के लिए 31 मार्च 2014 तक टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया है। सीमित समय में शर्त के पालन के इन आदेशों से अध्यापकों के हाथ-पांव फूल गए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने विवादों से बचने के लिए इस 'फरमान' के बाद आवेदन की 29 जुलाई की तारीख को बढ़ाकर 4 अगस्त कर दिया लेकिन 3 तारीख के रविवार होने के चलते तमाम औपचारिकताएं पूरा करने को महज तीन दिन मिले, ऐसे में 2 अगस्त तक अधिकांश अध्यापक आवेदन करने से वंचित रह गए।
उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने 2008-09 के बाद लगभग 20 हजार अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन जारी हुए किंतु ठेका प्रणाली के अंतर्गत सात हजार अध्यापकों को नियुक्ति पत्र जारी किए जबकि बकाया 13 हजार अध्यापक आज भी सरकार का मुंह ताक रहे हैं। जुटाए गए विवरण के अनुसार 7654 अध्यापक अप्रैल 2011 में भर्ती हुए जबकि 6 अप्रैल 2014 को तीन साल बाद रेगुलर किया गया। वहीं, एसएसए के अधीन भी हजारों अध्यापक 2010 के बाद भर्ती किए गए किंतु अब अचानक यह फैसला थोप देने से हजारों अध्यापकों का भविष्य पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। पूर्व के टीईटी परिणामों को देखें तो 31 मार्च 2015 तक 10-12 हजार अध्यापकों का टीईटी पास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। नेशनल कौंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की शर्तो के अनुसार टीईटी क्लीयर न करने वाले अध्यापकों पर छंटनी की गाज गिर सकती है।
21175 के विज्ञापन 7400 की भर्ती
- 23 अक्टूबर 2009 को 7654 अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन में से जिन 5200 को नियुक्ति पत्र जारी किए गए जबकि 2400 पद अभी तक नहीं भरे गए।
- 7 मई 2011 को 3442 अध्यापकों के विज्ञापन में से 2200 भर्ती करके बाकी 1242 पद खाली छोड़े गए हैं।
- 9 सितंबर 2012 को 5178 अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ लेकिन अभी तक किसी की भी भर्ती नहीं हुई।
- 22 फरवरी 2014 को 4901 अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया लेकिन इसमें भी कोई भर्ती नहीं की गई।
शर्त हटाने का आग्रह
शिक्षा सुधार कमेटी ने हजारों अध्यापकों की भविष्य की दुहाई देते हुए इस फरमान को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है। प्रदेश प्रधान जसवंत सिंह गिल, प्रांतीय कनवीनर हंसराज व राजकिशोर कालड़ा का कहना है कि पहले से भर्ती अध्यापकों पर टीईटी पास करने की शर्त न लगाई जाए क्योंकि इस शर्त से हजारों अध्यापकों बेरोजगार हो जाएंगे, वहीं स्कूल खाली होने से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होगी
News Sabhaar : Jagran (Publish Date:Sunday,Aug 03,2014 05:22:46 PM | Updated Date:Sunday,Aug 03,2014 05:22:44 PM)
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